Saturday, 13 February 2021

 तख्तनशी होने को हमने भी आरोपे पे आरोपे  के पुलिंदों का ढेर लगाया था 

वो वक़्त लौट के फिर मुँह मेरे आएगा ये अनुमान तब हमने कहाँ लगाया था 

खुश थे, तब अपनी बारी थी, तब वो और उसकी बातें लगती प्यारी प्यारी थी 

वो वही है जहाँ था, पर अब न वो रहा प्यारा, न बातें लगती उसकी प्यारी प्यारी