वीरान सड़कें , परिंदे आसमान में , आज घर मैं साथ पूरा परिवार देखा
बेसक कोरोना ने दिखाया मगर आज बरसो पहले वाला रविवार देखा।
युही बीत जाया करता था दिन अपना , रोज काम की अफरा तफरी
में कभी बीवी बच्चो की खवाहिश की लिस्ट तो काफी बॉस की चाकरी
में शाम को थोड़ी गुफ्तगू और फिर रात को सो जाना अगली सुबह
के लिए एक वायरस ने आज हमे समझया,कितने होते है घंटे पुरे एक दिन में।
Saturday, 21 March 2020
अब मुखोटे लगा भी ले कोई तो क्या फर्क पड़ता है
आज इस कोरोना दौर में सबको सभी से खतरा है।
एक वायरस सीखा रहा है आज हमें ज़िंदगी का फलसफा
आडम्बरी चीज़ो से इंसा तू खुद को जितना हो सके बचा
जिनके पीछे भागे वो है सिर्फ दिखावटी उनसे खुद को बचा
मूवी जिम यह वो सब न आएंगे काम
तू तेरा परिवार ही आएगा काम उन मैं ध्यान अपना लगा।
दीवानगी भी काम आ जाएगी कभी यह भी न सोचा था हमने
मगर अच्छा हुआ ,
वरना दिल का हाल किस किस को समझाने जाते हम।