Friday, 29 May 2020

--------------मयखाने की गुफ्तगू-----------------

उसके जाते ही अंदर कुछ दबा सा बाहर आता है
वो तो शुक्र ये  शुक्रवार हफ्ते मैं एक बार आता है





क्या देखा हमने ये न पूछ ए दोस्त
यह पूछ क्या क्या नहीं देखा हमने

Friday, 22 May 2020

इत्ती सी बात थी बस और उसे राइ का पहाड़ बना लिया
हर बात  मैं करके राजनीती उसने खुद को गिरा लिया।
कसूर सारे मेरे जिम्मे,वाहवाही पे सिर्फ उनका ही नाम है।
ऐसे ही बनाते है सबको, आता यही उनको एक काम है।

Sunday, 17 May 2020

जब भी कभी उनसे मुलाकात का वक़्त तय हुआ, वक़्त ने तब कभी साथ न दिया
और आज जब पास वक़्त, खाली खाली से हम है तब मुलाकात नहीं हो सकती। 

Saturday, 9 May 2020

माँ हर वक़्त हर लम्हा हर घडी, मेरे लिए ही दुआ माँगा करती है।
माँ की हर ख़ुशी में शामिल मैं, गम अपने मुझ से छुपाया करती है।
चेहरे पे शिकन देखके वो मेरे, चल रहे हालातो का अंदाजा  करती है।
निकल आता हूँ  मुश्किल से, जब माँ प्यार से मेरे, सर पे हाथ रखती है। 

Sunday, 3 May 2020

जब चाँद पास था
तब वो मशरूफ रहे तारो को समेटने मैं
आज सितारों से झोली आबाद है उनकी
और अब उन्हें आरज़ू चाँद को पाने की है।
जब तक करीब थे उनके हम साँसों की तरह
न देखा ही हमे न बात ही की हमसे
अब जब हम मिलो दूर है बहुत दूर है उनसे
वो हाल चाल पूछते आज कल हमसे।