सालो साल से यंही ठहरा है ये दरिया, समेटे अनगिनत कहानिया अपने अंदर
मिले फुर्सत तो पड़ना ख़ामोशी इसकी , पाओगे तुम एक ठहराव अपने अंदर
जुस्तजू है इसको भी मिलने की समंदर में मगर नसमझ अनजान है मेरी तरह
इसको क्या पता ये न रहेगा फिर दरिया जो मिल गया ये जाके समंदर के अंदर।