Tuesday, 11 March 2025

दूसरों की मदद करना एक बढ़िया आदत है, लेकिन हर कोई वास्तव में आपकी मदद का हकदार नहीं होता या उसकी सराहना नहीं करता।

अक्सर, जब हम किसी को संघर्ष करते या गलत दिशा में जाते देखते हैं, तो हमारी सहज प्रवृत्ति उसे उस स्थिति से बहार निकालने की होती है। लेकिन कुछ लोग हमारे इरादों को गलत समझते हैं और उन्हें ऐसा लगता है की हम अपने आप को उनपे थोप रहे है। क्यूंकि हमने बिना मांगे ही सब कुछ देने की कोसिस की है।

सच्चाई यह भी है कि हर कोई अपनी स्थिति को बदलना या सुधारना नहीं चाहता। चाहे आप कितनी भी मदद करें, अगर वे मदद स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

दया और करुणा महत्वपूर्ण हैं, लेकिन यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि अपनी ऊर्जा कहाँ निवेश करनी है। समझदारी से चुनें—उन लोगों की मदद करें जिन्हें वास्तव में इसकी ज़रूरत है, इसकी कद्र करते हैं और आपके समर्थन के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।

 माइक्रोमैनेजमेंट अक्सर कार्य के प्रतिकूल वातावरण बनाता है। जब व्यक्ति हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीज़ को नियंत्रित करते हैं या चेष्टा करते है  तो यह एक खलबली पैदा करता है और खलबली जब जायदा बढ़ जाती है जब इसमें बाकि सब की सिर्फ जबाबदेही होती है और आपके पास सारे अधिकार।  


व्यक्ति मैं विश्वास की कमी पैदा होती है कर्मचारी खुद को कमतर आंकते हैं और हतोत्साहित महसूस करते हैं, उन्हें अपनी क्षमताओं पर भरोसा नहीं होता। जब हर कदम तय किया जाता है तो रचनात्मकता के लिए कोई जगह नहीं बचती।यह तनाव पैदा करता है  कर्मचारी और प्रबंधन के बीच , दोनों ही बर्नआउट का अनुभव करते हैं।परिणामों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, लोग अनावश्यक अप्रूवल पर समय बर्बाद करते हैं। स्वायत्तता और विश्वास की कमी से निराश होकर प्रतिभाशाली कर्मचारी नौकरी छोड़ देते हैं।

एक स्वस्थ कार्य संस्कृति अत्यधिक नियंत्रण पर नहीं, बल्कि विश्वास, सशक्तिकरण और स्पष्ट अपेक्षाओं पर पनपती है।