Saturday, 28 September 2019

प्यार है बेइंतहा और कुछ लड़ाई भी है
इक जिस्म दो जान है, मगर एक खाई भी है
रहना गवारा नहीं बीना उसके मुझको देखो
मगर तन्हा वहां परेशान वो भी है
आरजू है मिल जाये शक्कर और पानी की तरह
मगर का करे ज़िन्दगी लेती  इम्तिहान भी है 
अगर कहेंगे मोहब्बत है तुमसे तुम कहोगे इम्तिहान दे दो हम कहेंगे दिल आपका बेसक से अब आप जान ले लो किताब बन के आओ ज़िंदगी मैं पड़ने की तुमको बड़ी जुस्तजू है।
हर निगाह अपने लिए एक निगाह तलाशती है
हर चेहरे को एक अपने से चेहरे की तलाश है
कटती नहीं बेजान लम्बी ज़िंदगी अकेले अकेले
खूबसरत है ज़िंदगी गर किसी का साथ है।

Tuesday, 24 September 2019

कुछ तो उम्मीद रही होगी तुम को भी मुझ से यूँही कोई दरवाजे पे टकटकी नहीं लगता।

Monday, 9 September 2019

बड़ी ही अजीब कशमकश है मेरी, अपने ही खयालो  से
जो भी कुछ दूर साथ चलता है उसके ही हो जाते है हम।
किस्मत कंहू या कंहू बदकिस्मती
जब जाम हो पर कोई  साथी न हो
आँखे हो पर देखने को खवाब न हो
तुम दिल मैं तो हो पर मेरे पास न हो। 


लिख के कुछ शब्द फिर उस मैं  तुझको ही  खोजना हरबार
ज़िंदगी मैं बस यही काम रह गया है
लगता है मोहब्बत भी वीराने मैं गुम  हो गई कंही  शायद
शब्दों का शोर भी अब गूगा हो गया है। 
चले जाना छोड़ के , मगर मुस्कुरा देना बस एक बार
ग़लतफहमी ही सही मगर दिल को सकूं तो रहेगा
तुमने जो किया था, थोड़ा ही सही , था तो वो भी प्यार। 
अल्फाज कभी मिला भी देते है रूठे हुओ से
कभी यही अपनों से बहुत दूर भी करा देते है
कभी समझा देते है पल मैं सब कहानी को भी
कभी बर्बाद करे सबकुछ यही अल्फाज मेरे।