Monday, 9 September 2019


लिख के कुछ शब्द फिर उस मैं  तुझको ही  खोजना हरबार
ज़िंदगी मैं बस यही काम रह गया है
लगता है मोहब्बत भी वीराने मैं गुम  हो गई कंही  शायद
शब्दों का शोर भी अब गूगा हो गया है। 

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