ख्याल जज्बात और कलम
Sunday, 10 November 2019
वो बेचारा ढूंढता रहा है साल महीने उस शख्स को
हर जगह खोजा मगर कंही भी उसके निशाँ न मिले
खोता तो मिल जाता बदले लोग कब कहाँ किसे मिले ।
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