बचपन मैं बरसता था बादल भी घनघोर जरा जम के
तब उस पानी पे चलने वाले कागज के जहाज भी थे
न अब ऐसी बारिश है न वो बादल घनघोर बरसने वाले
न कागज के जहाज आज ,न आज उनको बनाने वाले
तब उस पानी पे चलने वाले कागज के जहाज भी थे
न अब ऐसी बारिश है न वो बादल घनघोर बरसने वाले
न कागज के जहाज आज ,न आज उनको बनाने वाले
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