Sunday, 22 August 2021

 हर लम्हा मशरूफ तुम , तुम्हारी मशरूफियत की वजह क्या है 

यूँ  इस कदर तड़पते हो हमे तुम और पूछते हमारी सजा क्या है 

Saturday, 21 August 2021

 ख्याल ख्वाब आरज़ू नाजुक सब थे कांच की तरह 

हम नादान लेके निकले इन्हे पत्थर की दुनिया मैं। 

 हर एक शख्स चला है, एक कहानी लेके साथ में 

कोई तन्हा चला, कोई हाथ लेके किसी का हाथ में 

Saturday, 7 August 2021

 चार लोगो मैं मुझ को एक दम से अजनबी बना देना तेरा 

तन्हाई मैं रूह से भी जायदा वो मेरे क़रीब आ जाना तेरा 

वो अजनबी सी शाम ढलने को आई है एक बार फिर से 

अब बहुत चुभता है 

कभी अपना और कभी गैरो भी से पराया बना देना तेरा।  

 इंतज़ार किस्मत मैं और दिल की बात अधूरी सी 

सुना के तुम आओगे 

कदमो से मिलो नाप दिए वो महफ़िल ज़रूरी थी

मिलके बताना था इंतज़ार और दिल की बात तुम्हे 

शायद तब तुम जानो

तुम्हारी आवाज़ और लफ्ज क्यों मेरी मजबूरी थी। 

Sunday, 1 August 2021

 दर्द में राहत , तन्हाई मैं कोई साथ दे दे 

ए ख़ुदा ऐसा हमदर्द सब को एक हाथ दे दे

जहाँ देखो वहां सिर्फ उनकी यादो के जाले है 

सोच के हसी आती खुद पे  

हमने भी कैसे कैसे यह अजब शौक पाले है

 क्या थे हम और क्या हो गए तेरे जाने के बाद 

महसूस कुछ अब होता नहीं तेरे जाने के बाद

 मेरी बज़म में मेरे उठके जाने के बाद ही हरबार तेरा आना

नज़रे झुका लेना जब, मेरे नाम के साथ तेरे नाम का आना। 

 एहसास ए जुर्म क्या लगे जो हम हाले दिल बताये तो

सब कुछ प्यारा प्यारा सा लगे बेसक वो हमे सताए तो

वक्त नहीं जिसके पास, वक्त उसके लिए रहे हरदम 

है कोई हकीम, कैसा मिल जायेगा वो जो ये बताये तो

 राजनीति के भी तोर तरीके रिवाज बड़े ही अजीब है 

वही दुश्मन बन जाते है जो कभी सबसे करीब है।

 वो जो किसी को चोर बोल के बनने आया था रसूखदार

सुना आज कल 

लोग कहते दामन दागदार है उस रसूखदार के भी।

 ज़िंदगी वक़्त ही नहीं देती खुद के लिए

वरना पूरे हमे भी कुछ खवाब करने है।