चार लोगो मैं मुझ को एक दम से अजनबी बना देना तेरा
तन्हाई मैं रूह से भी जायदा वो मेरे क़रीब आ जाना तेरा
वो अजनबी सी शाम ढलने को आई है एक बार फिर से
अब बहुत चुभता है
कभी अपना और कभी गैरो भी से पराया बना देना तेरा।
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