Thursday, 18 November 2021

 दिखा के चांद हमे वो लोग सारे सितारे समेट ले गए

 ना वो चांद ही है, ना ही सितारे हैं अब करीब अपने

गफलत मैं ही रहे हम, देखो अब हाथ खाली रह गए

Tuesday, 16 November 2021

 काश तब शायद कोमा लगा होता 

न लगा होता पूर्ण विराम 

तो 

आज न कहानिया अपनी बेजुबान मरती 

न ही सपने यू बिखर जाते, जो देखे साथ थे 


थोड़ा तुम चलते थोड़ा मैं आगे बढ़ाता कदम 

मिल के शायद दोनों मंजिल प् ही लेते हम 

अगर न लगा होता पूर्ण विराम 


बाहों मैं तुम्हारी कटती मेरी सुबो और शाम 

कभी तुम रूठती कभी मैं मनाता तुम्हे 

होता यही सब 

अगर न लगा होता पूर्ण विराम।