Thursday, 18 August 2022

 उसके चाहने वालों में नाम हमारा भी शुमार है

यही बात न जाने कितनो लोगो को नागुजार है

 बड़ी खुश थी कली गुलाब की महका सा फूल बनके 

उसे क्या पता था फूल अक्सर तोड़ लिए जाया करते है

 दिखाने को हँसी चेहरे पे और वो चहरे पे ढेर सारा सकून रखता है 

किसे क्या पता वो शक्श हंसी की आड़ में 

गम ज़माने भर का दिल मैं छुपाये फिरता है।

 काफी वक़्त हो गया बर्बाद  यूँही घिसते घिसते पन्नो को 

अब दिल करता है शायरी किसी के दिल पे लिखी जाये

 सुना पथरो को भी तरास देते लोग और उन्हें अमर कर देते है 

हम कब से बुत बने बैठे, औरकोई प्यार से देखता तक नहीं

 तारीफे भी मिली और हर शक्श बड़े ही प्यार से मिला 

पर जब कभी मिला जो भी मिला सिर्फ काम से मिला

 मसरूफ हो तुम ज़िंदगी की जद्दोजहद में दिन रात और रात दिन 

रिश्ते सिर्फ मरते नहीं वक़्त न होने से, वो मरते तबज्जो के भी बिन

 कुछ इस तरह भी कभी मैं रिश्तो को निभा दिया करता हूँ 

टूट न जाये रिश्ते इसलिए बेवजह उन्हें मना लिया करता हूँ 

रूठ जाते है वो अक्सर सोच के , के हम उन्हें मना ही लेंगे 

ख़ुशी की खातिर उनकी

अपने जज्बात दिल मैं ही दबा लिया करता हूँ