सबने कहा लगता नहीं बच सकेंगे अब हम
उन्हें क्या पता एक बार आवाज़ दे दे वो बस
कब्र से भी मिलने दौड़े चले आयंगे हम।
सबने कहा लगता नहीं बच सकेंगे अब हम
उन्हें क्या पता एक बार आवाज़ दे दे वो बस
कब्र से भी मिलने दौड़े चले आयंगे हम।
कब रेत की तरह वक्त मुट्ठी से निकल गया ज़िंदगी बनाने मैं
पता भी न चला
आज भी न अपने खुश हमसे और न ज़िंदगी ही संवार सके हम।
तेरी यादो का खजाना दिल में सजा के रखता हूँ
दोस्तों ने बताया , मैं अकेले घंटो हँसता रहता हूँ
तुम और तुम्हारी बातें आज भी साथ रहती है मेरे
तुम दिख जाओगी
यही सोच के आज भी चक्कर लगते है घर के तेरे।
खयालों की खिचड़ी करे अल्फाजों को तंग।
कभी यादों के साए कभी है जिंदगी की जंग।
ना जाने कब रह जाए खाली हथेली मेरी।
जी लूं जरा होके मैं मलंग।
अधपकी सी है कोशिश मगर पकने का ऐतबार।
ज़माना खींचे पीछे मुझे , मैं आगे बड़ने को बेकरार।