खयालों की खिचड़ी करे अल्फाजों को तंग।
कभी यादों के साए कभी है जिंदगी की जंग।
ना जाने कब रह जाए खाली हथेली मेरी।
जी लूं जरा होके मैं मलंग।
अधपकी सी है कोशिश मगर पकने का ऐतबार।
ज़माना खींचे पीछे मुझे , मैं आगे बड़ने को बेकरार।
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