ख्याल जज्बात और कलम
Friday, 6 December 2019
कुछ इस कदर हम खो गए है जिंदगी के थपेड़ों मैं इल्म भी नहीं क्या पत्थर आये ज़िंदगी के मोड़ो मैं अब ये हालत है मेरे और मेरी ज़िंदगानी के देखो मैं परेशा हूँ लोग पहचान लेते है यह बात करोडो मैं।
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