Tuesday, 14 October 2025

 जिस शख़्स की थोड़ी-सी कामयाबी देखकर जलते हो तुम आज कल,
वो भी कभी तुम्हारी ही तरह गिरा था  फर्क बस इतना है, वो उठा बार-बार।
जलन छोड़, मेहनत से नाता जोड़ ऐ दोस्त,
किस्मत भी झुकती है उसी के आगे जो हार मानता नहीं बार-बार।

 ज़िंदगी में,

जब-जब जैसा किरदार पड़ा, बना लिया हमने।
हम सिर्फ़ अच्छे कहाँ —
बुराई भी बेहिसाब है अपने अंदर।


मिलता ही कहाँ है वो सब कुछ जिसे चाहता है ज़िंदगी में, आदमी
उसे पाने की चाहत में उल्टा, जो है, उसे भी खोए चला जा रहा है आदमी।

 जब कभी भी मिले, मिले मुझे सब देवता लोग,

एक मैं ही हूँ जो करता हूँ ग़लतियों पे ग़लतियाँ,
बाकी सब ज्ञानी बहुत हैं।

 ज़िंदगी अगर शुरू से आसान होती,

तो लोग रब को याद ही क्यों करते।
थोड़े हिचकोले ज़िंदगी में ,ही तो बताते हैं,
हारना नहीं है — अभी सफ़र बाक़ी बहुत है।

 


भारी दिल और आकाश के घने बादल एक ही तरह के होते हैं,
कि थोड़ा सा पानी बहा नहीं और राहत मिल गई।

 कदम हर कदम पे सिखाएं ही जा रही हैं जिंदगी, 

समझो हमे सातो जन्म इसी जन्म में गुजारने हो जैसे।