जिस शख़्स की थोड़ी-सी कामयाबी देखकर जलते हो तुम आज कल,वो भी कभी तुम्हारी ही तरह गिरा था फर्क बस इतना है, वो उठा बार-बार।जलन छोड़, मेहनत से नाता जोड़ ऐ दोस्त,किस्मत भी झुकती है उसी के आगे जो हार मानता नहीं बार-बार।
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