Sunday, 19 June 2022

 जिसे नासमझ समझे वही एक  इकलौता था 

जो समझता था हमारी समझ को और हमें

अब वो करता नहीं बात , मिलता भी नहीं हमसे  

सुना समझदार हो गया जिसे नासमझ हम समझें 

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