जिसे नासमझ समझे वही एक इकलौता था
जो समझता था हमारी समझ को और हमें
अब वो करता नहीं बात , मिलता भी नहीं हमसे
सुना समझदार हो गया जिसे नासमझ हम समझें
No comments:
Post a Comment