याद ही रह गई है अब बस आँखों मैं उनकी
गुजरती थी हमारी शाम बाहो मैं जिनकी
मुद्दते निकल गई देखे उन्हें रूबरू अब तो
देखे बिना न गुजरता था दिन सूरत जिनकी।
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