Wednesday, 29 April 2020

२०२० कर दिया सब अस्त व्यस्त और हमको अपनी भी सुध नहीं 
एक लम्बे वीरान से सफर पे है हम, आगे का रास्ता हमे पता नहीं
सुने पड़े है खेल के मैदान सभी,  बच्चे सारे बेबस घरो मैं क़ैद है
रोग ऐसा लग गया है पीछे ,  जिसका अभी  कोई इलाज ही नहीं
दिन भी कुछ कुछ रात सा हो चला , आँखों मैं अब नींद भी  नहीं
निकल जाये किसी तरह इससे बस, होंटो पे अब यही फ़रियाद है
ऐसा कुछ हुआ था कभी , किसी को भी ऐसा कुछ याद नहीं।
गलती खता बताओगे नहीं, तो वो सुधरेंगे कैसे
बताओ तो वो अक्सर, नाराज़ हो जाते  है हमसे
या तो मैं वो नहीं, जो बताऊ उन्हें खता उनकी
या  जिस अंदाज मैं समझे, वो जुंबा नहीं आती।
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Galti Khata bataogey nahi, to wo sudhrengey kaise
batao to wo aksar naraz ho jate hai humse
ya to wo main nahi jo batau unhe khata unki
ya jis andaz main samjhe wo juban nahi aati ..

Friday, 24 April 2020

कभी खवाब मैं भी ख्याल न आया था इसका
निशब्द होंगी सड़के हम घर मैं कैद होंगे
 घर के छज्जे पे चहचहाहट होगी चिड़िया की
नाचेंगे मोर  भी आके घर के मेरे  सामने
गाड़िया बंद और  पंप पेट्रोल के वीरान होंगे
काला  आसमा उजला होगा उजाले की तरह
घर के पौधों  से अब रोज होगा  मिलना मेरा
और महीनो दोस्तों से न अब कोई मुलाकात होगी।
कभी खवाब मैं भी ख्याल न आया था इसका

Sunday, 19 April 2020

माना की वक़्त वो भी कुछ अजीब था
मगर तब वो शख्स मेरे करीब था
आज से न थे हालात मेरे तब भी
उसे तब देखना तो मुझे नसीब था।
उजाला थोड़ा कर दो , मेरे लिए
जज्बातों का अंधेरा काफी है
तुम छोड़ गए थे अधूरा जो
उसको सुनना अभी बाकि है।
तुमने कहा था छु गई बातें मेरी
और मदहोश से  तुम हो गए थे 
बहुत सुनाये थे  किस्से तुमने
मगर जो सुनना था मुझ को
 वो बात अभी बाकि है
हर मंजिल पे मेरी उसकी टेडी निगाह थी
लगा मुझे जैसे किस्मत भी मेरी खफा थी
कई बार लगा लोट जा छोड़ के सबकुछ 
मगर अपने वादे की बेड़िया दरमियान थी
लगारहा बदस्तूर मैं जीजान लगा के अपनी
कुछ अपनों की दुआ और उसका करम था
आँखे खुली तो मंजिल बांहो के दरमियान थी।

Thursday, 9 April 2020

रात की तन्हाई और मन में मचलते विचारों का द्वंद्व।
मेरे सच्चे सवाल और उस पे तेरे झूठे जवाबो का द्वंद्व। 
मेरे मासूम सपने और तेरे किये  फरेबी वादों का द्वंद्व।
बहुत खोजा, मगर, फिर भी जवाब से कोसो दूर हूँ मैं
 उसपे बीते कल और आनेवाले कल के बीच का द्वंद्व। 

Wednesday, 8 April 2020

जब भी पूछा
हर बार यही जवाब मिला मरने की भी फुर्सत नहीं उसको
आज बंदा वो फुर्सत में बैठा है, मरने से बचने के लिए  

Saturday, 4 April 2020

ऐसे वक़्त घर से बेमतलब तू निकलना ही क्यों है  
आबोहवा में फैला जहर चारो तरफ तुम्हे पता है 
मौत को गले लगाने की तुझे ऐसी भी जल्दी क्यों है 
हमेशा तुझको ख्वाहिश थी घर मैं समय बिताने की 
आज मिला समय तो,तू आज इतना उतावला क्यों है।