Wednesday, 29 April 2020

२०२० कर दिया सब अस्त व्यस्त और हमको अपनी भी सुध नहीं 
एक लम्बे वीरान से सफर पे है हम, आगे का रास्ता हमे पता नहीं
सुने पड़े है खेल के मैदान सभी,  बच्चे सारे बेबस घरो मैं क़ैद है
रोग ऐसा लग गया है पीछे ,  जिसका अभी  कोई इलाज ही नहीं
दिन भी कुछ कुछ रात सा हो चला , आँखों मैं अब नींद भी  नहीं
निकल जाये किसी तरह इससे बस, होंटो पे अब यही फ़रियाद है
ऐसा कुछ हुआ था कभी , किसी को भी ऐसा कुछ याद नहीं।

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