हर मंजिल पे मेरी उसकी टेडी निगाह थी
लगा मुझे जैसे किस्मत भी मेरी खफा थी
कई बार लगा लोट जा छोड़ के सबकुछ
मगर अपने वादे की बेड़िया दरमियान थी
लगारहा बदस्तूर मैं जीजान लगा के अपनी
कुछ अपनों की दुआ और उसका करम था
आँखे खुली तो मंजिल बांहो के दरमियान थी।
लगा मुझे जैसे किस्मत भी मेरी खफा थी
कई बार लगा लोट जा छोड़ के सबकुछ
मगर अपने वादे की बेड़िया दरमियान थी
लगारहा बदस्तूर मैं जीजान लगा के अपनी
कुछ अपनों की दुआ और उसका करम था
आँखे खुली तो मंजिल बांहो के दरमियान थी।
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