Friday, 24 April 2020

कभी खवाब मैं भी ख्याल न आया था इसका
निशब्द होंगी सड़के हम घर मैं कैद होंगे
 घर के छज्जे पे चहचहाहट होगी चिड़िया की
नाचेंगे मोर  भी आके घर के मेरे  सामने
गाड़िया बंद और  पंप पेट्रोल के वीरान होंगे
काला  आसमा उजला होगा उजाले की तरह
घर के पौधों  से अब रोज होगा  मिलना मेरा
और महीनो दोस्तों से न अब कोई मुलाकात होगी।
कभी खवाब मैं भी ख्याल न आया था इसका

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