दिखा के चांद हमे वो लोग सारे सितारे समेट ले गए
ना वो चांद ही है, ना ही सितारे हैं अब करीब अपने
गफलत मैं ही रहे हम, देखो अब हाथ खाली रह गए
दिखा के चांद हमे वो लोग सारे सितारे समेट ले गए
ना वो चांद ही है, ना ही सितारे हैं अब करीब अपने
गफलत मैं ही रहे हम, देखो अब हाथ खाली रह गए
काश तब शायद कोमा लगा होता
न लगा होता पूर्ण विराम
तो
आज न कहानिया अपनी बेजुबान मरती
न ही सपने यू बिखर जाते, जो देखे साथ थे
थोड़ा तुम चलते थोड़ा मैं आगे बढ़ाता कदम
मिल के शायद दोनों मंजिल प् ही लेते हम
अगर न लगा होता पूर्ण विराम
बाहों मैं तुम्हारी कटती मेरी सुबो और शाम
कभी तुम रूठती कभी मैं मनाता तुम्हे
होता यही सब
अगर न लगा होता पूर्ण विराम।
हर लम्हा मशरूफ तुम , तुम्हारी मशरूफियत की वजह क्या है
यूँ इस कदर तड़पते हो हमे तुम और पूछते हमारी सजा क्या है
ख्याल ख्वाब आरज़ू नाजुक सब थे कांच की तरह
हम नादान लेके निकले इन्हे पत्थर की दुनिया मैं।
हर एक शख्स चला है, एक कहानी लेके साथ में
कोई तन्हा चला, कोई हाथ लेके किसी का हाथ में
चार लोगो मैं मुझ को एक दम से अजनबी बना देना तेरा
तन्हाई मैं रूह से भी जायदा वो मेरे क़रीब आ जाना तेरा
वो अजनबी सी शाम ढलने को आई है एक बार फिर से
अब बहुत चुभता है
कभी अपना और कभी गैरो भी से पराया बना देना तेरा।
इंतज़ार किस्मत मैं और दिल की बात अधूरी सी
सुना के तुम आओगे
कदमो से मिलो नाप दिए वो महफ़िल ज़रूरी थी
मिलके बताना था इंतज़ार और दिल की बात तुम्हे
शायद तब तुम जानो
तुम्हारी आवाज़ और लफ्ज क्यों मेरी मजबूरी थी।
दर्द में राहत , तन्हाई मैं कोई साथ दे दे
ए ख़ुदा ऐसा हमदर्द सब को एक हाथ दे दे
जहाँ देखो वहां सिर्फ उनकी यादो के जाले है
सोच के हसी आती खुद पे
हमने भी कैसे कैसे यह अजब शौक पाले है
क्या थे हम और क्या हो गए तेरे जाने के बाद
महसूस कुछ अब होता नहीं तेरे जाने के बाद
मेरी बज़म में मेरे उठके जाने के बाद ही हरबार तेरा आना
नज़रे झुका लेना जब, मेरे नाम के साथ तेरे नाम का आना।
एहसास ए जुर्म क्या लगे जो हम हाले दिल बताये तो
सब कुछ प्यारा प्यारा सा लगे बेसक वो हमे सताए तो
वक्त नहीं जिसके पास, वक्त उसके लिए रहे हरदम
है कोई हकीम, कैसा मिल जायेगा वो जो ये बताये तो
राजनीति के भी तोर तरीके रिवाज बड़े ही अजीब है
वही दुश्मन बन जाते है जो कभी सबसे करीब है।
वो जो किसी को चोर बोल के बनने आया था रसूखदार
सुना आज कल
लोग कहते दामन दागदार है उस रसूखदार के भी।
ज़िंदगी वक़्त ही नहीं देती खुद के लिए
वरना पूरे हमे भी कुछ खवाब करने है।वो कह देना जा अब न होगी बात तेरी मेरी फिर कभी
और हर गुनगुनाती घंटी पे सोचना तेरा फ़ोन आया है
भूल कर भी भूले से न मिलेंगे अब सब ख़तम दरमियाँ
और फिर हर आहट पे सोचना के चौखट पे तुम आये
रखोगे फूलो की ख्वाइश और कांटो से डरोगे
ए मेरे दोस्त ऐसे कैसे तुम दुनिया से लड़ोगे। .
तख्तनशी होने को हमने भी आरोपे पे आरोपे के पुलिंदों का ढेर लगाया था
वो वक़्त लौट के फिर मुँह मेरे आएगा ये अनुमान तब हमने कहाँ लगाया था
खुश थे, तब अपनी बारी थी, तब वो और उसकी बातें लगती प्यारी प्यारी थी
वो वही है जहाँ था, पर अब न वो रहा प्यारा, न बातें लगती उसकी प्यारी प्यारी