जब मिले जिससे मिले हम हर दफा खुल के ही मिले
कुछ इस वजह से ही दुश्मन है क्यों सब हम से मिले
गलती उसकी की नहीं जाते करीब उसके अक्सर लोग
और उस पर तोहमत हम पे यह है के
हम क्यों हर किसी से बांह फैला के मिले
कुछ इस वजह से ही दुश्मन है क्यों सब हम से मिले
गलती उसकी की नहीं जाते करीब उसके अक्सर लोग
और उस पर तोहमत हम पे यह है के
हम क्यों हर किसी से बांह फैला के मिले
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