Saturday, 5 December 2020

 एक झूठ को छुपाने में हजार झूठ और बोलने पड़ेंगे 

और अगर झूठ बोलने से सच में कौआ काटने लगे 

तो दुनिया में  दिलजले कम और घायल जयदा होंगे।

Sunday, 2 August 2020

काफी दिन हुए न कोई ख्याल ही आया न ही कुछ लिख पाया 
आज जो फुरसत मिली तो मैंने खुद को बड़ा मशरूफ पाया। 

Sunday, 5 July 2020

सालो साल से यंही ठहरा है ये दरिया, समेटे अनगिनत कहानिया अपने अंदर 
मिले फुर्सत तो पड़ना ख़ामोशी इसकी , पाओगे तुम एक ठहराव अपने अंदर 
जुस्तजू है इसको भी मिलने की समंदर में मगर नसमझ अनजान है मेरी तरह 
इसको क्या पता ये न रहेगा फिर दरिया जो मिल गया ये जाके समंदर के अंदर। 

Friday, 5 June 2020

तन्हा मैं तन्हा ख्याल और मेरा तन्हा कमरा मुझ से बातें करता है 
पूछता है मुझ से आजकल 
अब  जाके जाना तुमने, मुझे अकेले अकेले रहना कैसा लगता है। 
ज़माना ख़राब है चापलूसों  के भी आने लगे, लोग, अब रहनुमा बन के
मगर जिसकी कमर झुकी चापलूसी मैं, वो क्या चले बेचारा अब तन के 
जिसके रहमो करम पे बन रही है थोड़ी बहुत साख उसकी इधर उधर
कैसे निकाले, घर कर चुकी नस नस मैं चापलूसी जो, वो बेचारा मन से
बेइज़्ज़ती को ही अब चापलूसी का सच्चा वाला प्रसाद मान  बैठा है वो
फिर अब   बेइज़्ज़ती और  इज़्ज़त का अंतर कोई कैसे समझाए उसको। .

Friday, 29 May 2020

--------------मयखाने की गुफ्तगू-----------------

उसके जाते ही अंदर कुछ दबा सा बाहर आता है
वो तो शुक्र ये  शुक्रवार हफ्ते मैं एक बार आता है





क्या देखा हमने ये न पूछ ए दोस्त
यह पूछ क्या क्या नहीं देखा हमने

Friday, 22 May 2020

इत्ती सी बात थी बस और उसे राइ का पहाड़ बना लिया
हर बात  मैं करके राजनीती उसने खुद को गिरा लिया।
कसूर सारे मेरे जिम्मे,वाहवाही पे सिर्फ उनका ही नाम है।
ऐसे ही बनाते है सबको, आता यही उनको एक काम है।

Sunday, 17 May 2020

जब भी कभी उनसे मुलाकात का वक़्त तय हुआ, वक़्त ने तब कभी साथ न दिया
और आज जब पास वक़्त, खाली खाली से हम है तब मुलाकात नहीं हो सकती। 

Saturday, 9 May 2020

माँ हर वक़्त हर लम्हा हर घडी, मेरे लिए ही दुआ माँगा करती है।
माँ की हर ख़ुशी में शामिल मैं, गम अपने मुझ से छुपाया करती है।
चेहरे पे शिकन देखके वो मेरे, चल रहे हालातो का अंदाजा  करती है।
निकल आता हूँ  मुश्किल से, जब माँ प्यार से मेरे, सर पे हाथ रखती है। 

Sunday, 3 May 2020

जब चाँद पास था
तब वो मशरूफ रहे तारो को समेटने मैं
आज सितारों से झोली आबाद है उनकी
और अब उन्हें आरज़ू चाँद को पाने की है।
जब तक करीब थे उनके हम साँसों की तरह
न देखा ही हमे न बात ही की हमसे
अब जब हम मिलो दूर है बहुत दूर है उनसे
वो हाल चाल पूछते आज कल हमसे। 

Wednesday, 29 April 2020

२०२० कर दिया सब अस्त व्यस्त और हमको अपनी भी सुध नहीं 
एक लम्बे वीरान से सफर पे है हम, आगे का रास्ता हमे पता नहीं
सुने पड़े है खेल के मैदान सभी,  बच्चे सारे बेबस घरो मैं क़ैद है
रोग ऐसा लग गया है पीछे ,  जिसका अभी  कोई इलाज ही नहीं
दिन भी कुछ कुछ रात सा हो चला , आँखों मैं अब नींद भी  नहीं
निकल जाये किसी तरह इससे बस, होंटो पे अब यही फ़रियाद है
ऐसा कुछ हुआ था कभी , किसी को भी ऐसा कुछ याद नहीं।
गलती खता बताओगे नहीं, तो वो सुधरेंगे कैसे
बताओ तो वो अक्सर, नाराज़ हो जाते  है हमसे
या तो मैं वो नहीं, जो बताऊ उन्हें खता उनकी
या  जिस अंदाज मैं समझे, वो जुंबा नहीं आती।
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Galti Khata bataogey nahi, to wo sudhrengey kaise
batao to wo aksar naraz ho jate hai humse
ya to wo main nahi jo batau unhe khata unki
ya jis andaz main samjhe wo juban nahi aati ..

Friday, 24 April 2020

कभी खवाब मैं भी ख्याल न आया था इसका
निशब्द होंगी सड़के हम घर मैं कैद होंगे
 घर के छज्जे पे चहचहाहट होगी चिड़िया की
नाचेंगे मोर  भी आके घर के मेरे  सामने
गाड़िया बंद और  पंप पेट्रोल के वीरान होंगे
काला  आसमा उजला होगा उजाले की तरह
घर के पौधों  से अब रोज होगा  मिलना मेरा
और महीनो दोस्तों से न अब कोई मुलाकात होगी।
कभी खवाब मैं भी ख्याल न आया था इसका

Sunday, 19 April 2020

माना की वक़्त वो भी कुछ अजीब था
मगर तब वो शख्स मेरे करीब था
आज से न थे हालात मेरे तब भी
उसे तब देखना तो मुझे नसीब था।
उजाला थोड़ा कर दो , मेरे लिए
जज्बातों का अंधेरा काफी है
तुम छोड़ गए थे अधूरा जो
उसको सुनना अभी बाकि है।
तुमने कहा था छु गई बातें मेरी
और मदहोश से  तुम हो गए थे 
बहुत सुनाये थे  किस्से तुमने
मगर जो सुनना था मुझ को
 वो बात अभी बाकि है
हर मंजिल पे मेरी उसकी टेडी निगाह थी
लगा मुझे जैसे किस्मत भी मेरी खफा थी
कई बार लगा लोट जा छोड़ के सबकुछ 
मगर अपने वादे की बेड़िया दरमियान थी
लगारहा बदस्तूर मैं जीजान लगा के अपनी
कुछ अपनों की दुआ और उसका करम था
आँखे खुली तो मंजिल बांहो के दरमियान थी।

Thursday, 9 April 2020

रात की तन्हाई और मन में मचलते विचारों का द्वंद्व।
मेरे सच्चे सवाल और उस पे तेरे झूठे जवाबो का द्वंद्व। 
मेरे मासूम सपने और तेरे किये  फरेबी वादों का द्वंद्व।
बहुत खोजा, मगर, फिर भी जवाब से कोसो दूर हूँ मैं
 उसपे बीते कल और आनेवाले कल के बीच का द्वंद्व। 

Wednesday, 8 April 2020

जब भी पूछा
हर बार यही जवाब मिला मरने की भी फुर्सत नहीं उसको
आज बंदा वो फुर्सत में बैठा है, मरने से बचने के लिए  

Saturday, 4 April 2020

ऐसे वक़्त घर से बेमतलब तू निकलना ही क्यों है  
आबोहवा में फैला जहर चारो तरफ तुम्हे पता है 
मौत को गले लगाने की तुझे ऐसी भी जल्दी क्यों है 
हमेशा तुझको ख्वाहिश थी घर मैं समय बिताने की 
आज मिला समय तो,तू आज इतना उतावला क्यों है।

Sunday, 22 March 2020

वीरान सड़कें , परिंदे आसमान में , आज घर मैं साथ पूरा परिवार देखा
बेसक कोरोना ने दिखाया मगर आज बरसो पहले वाला रविवार देखा।

युही बीत जाया करता था दिन अपना , रोज काम की अफरा तफरी में
कभी बीवी बच्चो की खवाहिश की लिस्ट तो काफी बॉस की चाकरी में
शाम को थोड़ी गुफ्तगू और फिर रात को सो जाना अगली सुबह के लिए
एक वायरस ने आज हमे समझया,  कितने होते है घंटे पुरे एक दिन में। 

Saturday, 21 March 2020

अब मुखोटे लगा भी ले कोई तो क्या फर्क पड़ता है
आज इस कोरोना दौर में सबको सभी से खतरा है। 
एक वायरस सीखा रहा है आज हमें ज़िंदगी का फलसफा
आडम्बरी चीज़ो से इंसा तू खुद को  जितना हो सके बचा
जिनके पीछे भागे वो है सिर्फ दिखावटी उनसे खुद को बचा 
मूवी जिम यह वो सब न आएंगे काम
तू तेरा परिवार ही आएगा काम उन मैं ध्यान अपना लगा।
दीवानगी भी काम आ जाएगी कभी यह भी न सोचा था हमने
मगर अच्छा हुआ ,
वरना दिल का हाल किस किस को समझाने जाते हम। 

Tuesday, 18 February 2020

वो जो बात बे बात पे दिखाता रहता है अपनी तुनक मिजाजी
सुना है वही आज कल सुलझा रहा है मसले बनके के काजी

Monday, 17 February 2020

किसी का हो जाना कब एक सजा है ,कुछ लम्हे तो है साथ अपने, जो गुजरे इश्क़ मैं  याद करके उन्हें कभी रोना कभी कभी हँसना, उसका भी अपना एक अलग मजा है।