Wednesday, 25 December 2019

क्यों गम है गर कहानी मुकाम तक न पहुंच पाई
खुश हूँ  की उस कहानी मैं तेरा मेरा नाम तो है
पहुंच  न पाए हम तुम मंजिल तक तो क्या गम है
खुश हूँ के इस सफर मैं कुछ पल तुम साथ तो थे।

Thursday, 12 December 2019

मलाई भरी चाय में से मक्खियों की तरह निकालो  जाओगे
साहेब ने कहा दो और दो पांच और गर तुम चार बताओगे
बेसक उसे खड़ा करने में, तुम्ही सबके  कंधो का सहारा है
मगर साहेब को अपने खिलाफ सच सुनना कहाँ गवारा है
जैसे चमकाने मे लगे है ऊपर ऊपर से सब कुछ नया नया
गर बताओगे साहेब आप भी ऊपर से कुछ अंदर कुछ और
मलाई भरी चाय में से मक्खियों की तरह निकालो  जाओगे
यहाँ से जाना पक्का है कुछ रास्ता पक्का कुछ कच्चा है
कर वो जो  दिल को रखे खुश , क्यूंकि दिल  तो बच्चा है
छोड़ दे यह बेकार के गिलेशिकवे , मिल सब से प्यार से
यहाँ से जाना पक्का है कुछ रास्ता पक्का कुछ कच्चा है
जो दिया उसने और जो कमाया तूने उसमें रह खुश तू
आगे की आगे सोचे जो है उसका तो ठीक से मजा ले तू
यहाँ से जाना पक्का है कुछ रास्ता पक्का कुछ कच्चा है
क्यों कमाता है बेकार मैं दुसरो से जलन और ईर्ष्या तू
इतनी प्यारी ज़िंदगी दी देने वाले ने सदा यूँही  मुस्कुरा तू
यहाँ से जाना पक्का है कुछ रास्ता पक्का कुछ कच्चा है
हर एक दौर का अपना ही अलग मजा और परेशानी है
बचपन मैं बचपना जवानी मैं यौवन बुढ़ापे मैं तजुर्बा है
यहाँ से जाना पक्का है कुछ रास्ता पक्का कुछ कच्चा है

Friday, 6 December 2019

कुछ इस कदर हम खो गए है जिंदगी के थपेड़ों मैं इल्म भी नहीं क्या पत्थर आये ज़िंदगी के मोड़ो मैं अब ये हालत है मेरे और मेरी ज़िंदगानी के देखो मैं परेशा हूँ लोग पहचान लेते है यह बात करोडो मैं।
वो कुछ इस तरह मान बैठा है इस बात को की मोहब्बत पे मोहब्बत किये जा रहा है नेकी की तरह और दिल भरते ही उसे दरिया में डाल देता है.
जब तक काबिज न हुआ था कुर्सी पे वो तब तक सिर्फ कुर्सी मैं खोट था अब जो तख्तनशीन हुआ जो वो शख़्स उसको अब जमीन मैं ऐब नजर आता है।
बोलचाल रामराम अपनी है हर किसी से मगर कोशिस हमेशा सच के साथ खड़े है सवाल तीखे हो जाते है कभी कभी हमारे इसलिए ही हम लोगो की आँखों में गड़े है.

Tuesday, 12 November 2019

बरसो बाद वो टकरा गई हम से सड़क पे और देख के हम को मुँह मोड़ लिया उसने अजब सी हंसी आ गई होंठो पे यकायक कम से कम पहचान तो लिए ही हमे उसने।

Sunday, 10 November 2019

 छोटी सी बात होती है और फिर मुद्दे बड़े हो जाते है
मुद्दा सिर्फ इतना सा की सही क्या है
और लोग कोन गलत ,कोन सही मैं उलझ जाते है। .. रवि 
वो बेचारा ढूंढता रहा है साल महीने उस शख्स को
हर जगह खोजा मगर कंही भी उसके निशाँ न मिले
खोता तो मिल जाता बदले लोग कब कहाँ किसे मिले । 
बचपन मैं बरसता था बादल भी घनघोर जरा जम के
तब  उस पानी पे चलने वाले कागज के जहाज भी थे
न अब ऐसी बारिश है न वो बादल घनघोर बरसने वाले
न कागज के जहाज आज ,न आज उनको बनाने वाले 
महीने साल दिन ब दिन यूँ ही गुजरते जा रहे है
न हम अपने गम से खाली 
न हम उनके खयालो मैं आ रहे है 
मस्जिद की मीनार तले दबे मंदिर के कंगूरे भी अब बोल उठे है मंदिर वही बनेगा बोल दो अब छद्म धर्मनिरपेक्षता के लंगूरो से
देखने पर मेरे, जवाब में तुम, बेबात की हंसी न मिलाओ दिल गर नहीं मिलते, तो अच्छा है, हाथ भी न मिलाओ।
कब तक तन को यूँ ही नहलाते रहोगे कभी सोच को भी नेहला के देखो
खुद बदले खूब तुमने , कभी मैली सोच के भी कपडे बदल के तो देखो। 

Wednesday, 9 October 2019

नाम तारीफ़े शोहरत की लालसा ये सब बातें फिजूल है
खुशबू खुद बा खुद गवाही देती है के ये कोन सा फूल है

Saturday, 28 September 2019

प्यार है बेइंतहा और कुछ लड़ाई भी है
इक जिस्म दो जान है, मगर एक खाई भी है
रहना गवारा नहीं बीना उसके मुझको देखो
मगर तन्हा वहां परेशान वो भी है
आरजू है मिल जाये शक्कर और पानी की तरह
मगर का करे ज़िन्दगी लेती  इम्तिहान भी है 
अगर कहेंगे मोहब्बत है तुमसे तुम कहोगे इम्तिहान दे दो हम कहेंगे दिल आपका बेसक से अब आप जान ले लो किताब बन के आओ ज़िंदगी मैं पड़ने की तुमको बड़ी जुस्तजू है।
हर निगाह अपने लिए एक निगाह तलाशती है
हर चेहरे को एक अपने से चेहरे की तलाश है
कटती नहीं बेजान लम्बी ज़िंदगी अकेले अकेले
खूबसरत है ज़िंदगी गर किसी का साथ है।

Tuesday, 24 September 2019

कुछ तो उम्मीद रही होगी तुम को भी मुझ से यूँही कोई दरवाजे पे टकटकी नहीं लगता।

Monday, 9 September 2019

बड़ी ही अजीब कशमकश है मेरी, अपने ही खयालो  से
जो भी कुछ दूर साथ चलता है उसके ही हो जाते है हम।
किस्मत कंहू या कंहू बदकिस्मती
जब जाम हो पर कोई  साथी न हो
आँखे हो पर देखने को खवाब न हो
तुम दिल मैं तो हो पर मेरे पास न हो। 


लिख के कुछ शब्द फिर उस मैं  तुझको ही  खोजना हरबार
ज़िंदगी मैं बस यही काम रह गया है
लगता है मोहब्बत भी वीराने मैं गुम  हो गई कंही  शायद
शब्दों का शोर भी अब गूगा हो गया है। 
चले जाना छोड़ के , मगर मुस्कुरा देना बस एक बार
ग़लतफहमी ही सही मगर दिल को सकूं तो रहेगा
तुमने जो किया था, थोड़ा ही सही , था तो वो भी प्यार। 
अल्फाज कभी मिला भी देते है रूठे हुओ से
कभी यही अपनों से बहुत दूर भी करा देते है
कभी समझा देते है पल मैं सब कहानी को भी
कभी बर्बाद करे सबकुछ यही अल्फाज मेरे। 

Sunday, 18 August 2019

तुझ को मिले और हो तेरे साथ सब जब तक तब वो सब अच्छा है मुझ को मिले और हो मेरे साथ वही बात तब तुझे दर्द क्यों होता है। मुझे को मिला है हर बार, बार बार ये गम है तेरा या तुझ को नहीं मिला इस बात पे परेशानी है।
एक हमारा दिल है मानता ही नहीं बिना तुम्हे सोचे एक पल एक तुम्हारा दिल है जो की सोचता ही नहीं हमें एक भी पल

Friday, 9 August 2019

तोड़ दो दिल मेरा , कर दो कत्ल बेशक
बस ये भूल जाने की ज़िद छोड़ दो तुम।
दुनिया देके धोके पे धोका फिर भी तजुर्बे कार हो गई
और एक हम  खा के धोके पे धोका गुनहगार  हो गए। 

Wednesday, 3 July 2019

वो शख्स जो जोड़ने चला था  टूटा दिल किसी का
देखा उसे अपना टूटा दिल हाथ मैं थामे जाते हुए।

vo shakhs jo joadne chala tha toota dil kisi ka dekha use apna toota dil haath main thaame jaate hue.

Tuesday, 2 July 2019

दिल भर जाये जब मुझसे,चुपके से कान में बता देना मुझको
बेवफा हो जाने से अच्छा, प्यार में प्यार से अलग हो जाना।

dil bhar jaaye jab mujhse,chupke se kaan mein bata dena mujhko bewafa ho jaane se achha, pyaar mein pyaar se alag ho jaana.
तुझे सोच के रुक जाते है,वरना फ़साने बड़े है दिल के तहखाने में
तुम  हो जाओगी रुसवा , तेरा नाम आएगा बार बार हर फ़साने में।

tujhe soch ke ruk jaate hai,varna fasane bade hai dil ke tehkhane mein tum ho jaogi rusawa , tera naam aaega baar baar har fasaane mein



Thursday, 27 June 2019

बहुत अल्फ़ाज जज्बात ख्याल तो युही ही बरबाद हो गए हमारे
कुछ को वक़्त की मजबूरिया ले डूबी ,कुछ को हमारी उलझने।

bahut alfaaj jajbaat khyaal to yuhee hee barabaad ho gaye hamaare kuchh ko waqt kee majabooriya le doobee ,kuchh ko hamaaree ulajhane
वो जो कहता रहा ताउम्र तैराक है बड़े समुन्दर को छान देते है
सुना है पहली मुलाकात में ही डूब गया वो किसी की आंखों में।


vo jo kahata raha ta-umar tairaak hai bade samundar ko chhaan dete hai suna hai pahalee mulaakaat mein hee doob gaya vo kisee kee aankhon mein।
कभी मिलो तो बताना मुझे मेरे बारे में तुम
सुना है।
कहते हो बड़े अच्छे से मुझे जानते हो तुम


kabhi milo to bataana mujhe mere baare mein tum suna hai. kahate ho bade achchhe se mujhe jaanate ho tum
बैठ जाओ कुछ देर पास आके हमारे कभी
न फिर दुआ की जरूरत न दवा की।


baith jao kuchh der paas aake hamaare kabhi na phir dua kee jaroorat na dava kee.
स्त्री होना जितना उतना ही पुरुष होना है मुश्किल।
व्यंग उपहास अभद्र कह देना आसान
उनकी ज़िंदगी जीना मुश्किल।

stree hona jitana, utana hee purush hona hai mushkil. vyang upahaas abhadar keh dena aasaan unakee zindgee jeena mushkil.
तेरी जुस्तजू मैं न पूछ क्या हाल हुआ और क्या हो गए हम चाँद पाने की आदत थी और अब देख जुगनू पे आ गए हम

teree justajoo main na poochh kya haal hua aur kya ho gaye hum chaand paane ki aadat thi aur ab dekh juganoo pe aa gaye hum

Tuesday, 11 June 2019

कब तक यूही गलतियां कर कर के सीखते रहोगे तुम चार दिन की ज़िंदगी है ऐसा कहा करते है बड़े बुजुर्ग कभी कभी दुसरो की गलतियों से भी कुछ सीखो तुम।

kab tak yuhi galatiyaan kar kar ke seekhte rahoge tum chaar din kee zindagee hai aisa kaha karate hai bade bujurg kabhee kabhee dusaro kee galatiyon se bhee kuchh seekho tum.
वो जो जीत के आया था शहर पूरा का पूरा घर पहुँचते ही घरवालों ने हरा दिया उसको।
सर को ही नही अपने घमंड को भी थोड़ा  झुका के चलिए
सब अपने लगने लगेंगे नफरत का चश्मा घर उतार के रखिये
यह क्या जिंदगी है और क्या इसके फ़साने है न उनका भूलना है मुमकिन और न वो किस्मत मैं हमारे है।
वो जो दिल के बड़ा करीब था दो पल मैं समझा के चला गया दूरिया क्या होती है।

Tuesday, 9 April 2019

पहले भी तुम कई बार गए हो एक बार नहीं बार बार गए हो अब फिर से जाओगे तुम ठगे ठुकरा दो ६ हजार सखे काम माँगो न मांगो भीख मुफ्त से बढ़ती कामचोरी भैया गरीबी कभी न हटे ठुकरा दो ६ हजार सखे दिया मोके पे मोके उनको दिए तुमने सालो पे साल इस बार और दिखा दो ठेंगा ठुकरा दो ६ हजार सखे


किसी अन्य द्वारा लिखी पंक्तियों से प्रेरणा ले कुछ पंक्तियाँ

Friday, 5 April 2019

जब कभी टकरा जाओ उससे तो बोलता था सकपका सा जाता है मुझे देख कर क्यों तू कल हुआ चेकअप, तो दिमाग मैं कुछ नहीं ,मगर आँखों मैं ढेर सारा गंद निकला उसकी।
राजनीती है ही कुछ ऐसी, कुछ की संवेदनाये मर जाती है। सुना था बचपन में, राजनीती में, माँ बेटे की बलि चढ़ाती है। राहुल बोले, मम्मी बोली कमरे में आके, बेटा सत्ता जहर है , फिर भी न जाने क्यों , बेटे को वो जहर पिलाना चाहती है।

देखो ये है राजनीति।अब बीजेपी शिवसेना भाई भाई है
आप ने भी कांग्रेस के तलवे चाटने की अर्जी लगाई है
लगभग मना कर दिया, मगर आस फिर भी बाकी है
न जाने क्या होना है आगे, यह तो सिर्फ अभी झांकी है
बचपन में कुछ बच्चे होते थे जो खुद हर बार सिपाही बनते थे और समझते थे की वो सिपाही है और दूसरा चोर है आज वही बड़े होके दुसरो के नाम के आगे चौकीदार लिखने को सच का चौकीदार समझ रहे है।
हर एक शख्स वाकिफ है उसकी हर करतूत और कारनामो से मगर कहते है वो इज्ज़त अपने हाथ है नंग से लड़ा नहीं करते कीचड़ साफ़ करने के लिए हमेशा कीचड़ में उतरा नहीं करते मगर भूल बैठे है वो, अपनी शराफत मैं एक बात बहुत ज़रूरी पागल कुत्तो का इलाज जरूरी उन्हें यूही खुला छोड़ा नहीं करते।
मुझे छाँव देकर जो खड़े रहे बिना शिकायत धूप में ऐसा शख्स सिर्फ मिल सकता है पिता के रूप में जो मांगे वो मिल जाये, बचपन हो या हो जवानी इतना तो तू भी सीख ले पिता से , ए ज़िंदगानी।
कभी मुझ से कभी ज़माने से क्यों पूछता है तू अपने बारे में शायद तेरे जमीर ने जो बताया तुझे पसंद नहीं अपने बारे में
दूसरों को दे ले दोष तू , बेशक उन पर गालियां निकाल, तेरा नहीं होना कुछ, पहले अपने मन की तू गंद निकाल।
बात कभी मानते नहीं मगर जैसे ही कुछ कह दो बुरा मान जाते है। यह वही लोग है जो अपने ज्ञान देने के पर्चे दीवारों पे छपवाते है।
युही दर बदर फिरता रहता है अक्सर ख्याल मेरा 
न जाने कब कैसे कहाँ मिलेगा इससे जवाब तेरा 
रौनके बाजारों की भी लगती है आजकल दिखावे सी 
जब भी दिखे उसके पीछे खड़ा विकराल अँधेरा घना 
सच्चाई पताका फिराने वाले भी आजकल मोह मैं घिरे 
कहते है थोड़ा धीमा बोलो कोई बईमान हमे सुन ना ले 
वह जो भरते थे दम मर मिटने का देश के लिए एक दिन 
वही मिले खड़े पीछे बहुत पीछे जब लूट रहा था देश मेरा 
बाते करने और बनाने मैं है माहिर हर एक बंदा मेरे देश का 
गूंगा निकला वह हर शक्श , मौका जब मिला बोलने का
ए ज़िंदगी कभी तो मिलेगी तू और देगी जवाब मेरा 
या युही दर बदर फिरता रहेगा ये जो है ख्याल मेरा
न आने से भी चल रहा है काम यहाँ,तुम ए दोस्त आके क्या करोगे 
बहुत अर्जित कर लिया तुमने,अब तुम और कमा के क्या करोगे
वैसे भी सब हो गए है इतने संबल के अच्छा चल लेते है बिन तुम्हारे 
वैसे अब तो ऐसे हालत है तुम आ भी जाओ तो क्या उखाड़  लोगे
नौकरी भी एक अजब गजब कहानी है 
रोज नित नए आते है प्रस्ताव नौकरी के 
जब तक है हाथ मैं आपके नौकरी 
और जैसे ही गई वह नौकरी भैया आपकी 
तो ना आते प्रस्ताव नए न ही कोई बुलाबे 
आदमी भी सोचे किस्मत ख़राब है अपनी 
या नौकरी के बाजार मैं हुआ है कोई लोचा 
न जाने कँहा गए वह प्रस्ताव और बुलाबे 
रिज्यूम भी अब तो अपडेट हो गया कईबार 
हे एच आर अब तो बुला ही लो हमे एक बार।
ना जाना था कंही ना जाने की चाह है मगर फिर भी सफर  करने को मजबूर हूँ मैं 
एक बस के कंडेक्टर की तरह।  
वो जो बनते थे सब से बड़े दानवीर और समझते थे लोग जिन्हे सरताज अपना 
पड़ा जो मौका आज तो वो  मिलते है आस्तीन के सांप की तरह।  
भरते थे जो दम के दे देंगे अपनी जान भी तेरे लिए गर मौका पड़ा कभी ज़िंदगानी मैं 
वही सब आगे खंजर लिए खड़े मिले कसाई की तरह 
अपने को खुद फजीयत  से बचाने के लिए और उबारने को जेहमत से अपने को
वो  शख़्स न जाने कितने को डूबा गया तूफ़ान की तरह 
खुद की सकशियत पे ना लग जाये दाग या कोई कलंक अपनी करतूतो से उसपे 
लोगो के कंधो को इस्तेमाल किया उसने अपनी जमानत की तरह 
थोड़ा करता जो साहस तो शायद निकल जाती कस्ती मजधार से उसकी भी अपनी भी 
मगर वो  किनारे पे खड़ा रहा एक ज़िद्दी बुत की तर। 
फूलो की तरह मुस्कान तेरी
शर्माना तेरा मेरी घबराहट सा
चेहरा तेरा कँवल की  तरह
जुल्फों का गुच्छा काले बदल सा
अंग तेरे  कलियों की तरह
गुस्सा  तेरा  एक बालक सा
हर अदा एक अदा है तेरी निराली
मगर प्यार तेरा मुझ पागल  सा।
तुम हो मेरी अब इज़्ज़त , अब रखना तुम  लाज हमारी
सहूँगा हर कष्ट तुम्हारा हसके,चाहे हो कितना ही  भारी
 ज़माना है ख़राब , देख लेना कभी कभी  नज़र से हमारी
जो करना सोचकर करना , तुम ना करना कभी जल्दबाजी
सारे सुख मेरे तुम्हारे,पर साथ लेके चलना तुम वफ़ा हमारी
जब बुलाये प्यार मेरा, तब तब तुम रखना चलने की तैयारी
मुझको चाहने के लिए, हर सांस मेरी रहेगी ऋणी सदा तुम्हारी
तुम न जाना दूर हमसे , तुम हो मुझ को अपने प्राणो से प्यारी
त्याग मोहब्बत है, मगर रहेगी सदा एक ही जान हमारी तुम्हारी
परिपक्प है हम तुम,समझेंगे ज़िंदगी को की कभी न टूटे अपनी यारी।
तुम्हे क्या लगा था की तुम ना होंगे तो रात न होगी 
या दिन न निकलेगा या शाम न होगी 
रात भी थी दिन भी था शाम भी थी मगर वो बात न थी 
मुझे तो गुम्मा भी न था की ऐसा भी कोई दिन आएगा 
की जब तुम मेरे साथ न होगी 
मौत हक़ीक़त है इलम है मुझको और बाक़िफ़ हूँ मैं इससे 
मगर जब तेरी बात आई तो जान कर भी अनजान बना मैं 
मालूम न था हक़ीक़त कुछ ऐसी होगी 
तेरे रूठ  के मान जाने को कई बार देखा और सहा है मैंने 
मगर हर बार तेरा वापस आके मुस्कुराना भी पता है मुझे 
न पता था की इस बार लम्बी जुदाई होगी 
ना  मजीद को जानते है , ये ना  मंदिर को पहचानते है 
ये जवान सिर्फ भारत माता की आन पे लड़ना जानते है 
इनको आरज़ू नहीं , ना चाह रहती है अपने गुणगान की 
ये तो सिर्फ, तिरेंगे की आन के लिए  मर मिटना जानते है 
आशिक़ है कई , नाम जिनके लैला  मजनू शीरी  फरहाद 
मगर ये ऐसे आशिक़, जो वतन को अपना सनम मानते है 
कुछ मर मिटे  दौलत पे, कुछ सरफिरे मजहब के नाम पे 
और यह है के,तिरंगे को अपना खूबसूरत कफ़न मानते है 
सोता रहता हूँ , अपने घर मैं चैन से परिवार के साथ मैं 
वो रहते है कैसे, हम खुदगर्ज लोग यह कहाँ जानते है 
कहते है कुछ लोग, नौकरी है और  मिलता है पैसा उन्हें 
मगर कोई उनसे पूछे 
पैसे लेके, जो जाये जानके मरने ,वो ऐसे कितनो को जानते है 
ना  मजीद को जानते है , ये ना  मंदिर को पहचानते है 
ये जवान सिर्फ भारत माता की आन पे लड़ना जानते है।  
वो जो करता था दावे सब से अलग है और पका हुआ है वो
थोड़ा जो दबाया, उसी मैं से सब से ज़्यदा बचपना निकला
ठीक था तब तक जब तक सब कुछ उसके मन जैसा हुआ
जो दिखा दिया आइना , महफ़िल से वो रोता हुआ निकला 
न मालूम मंजिल न ही रास्ते की खबर है 
यह दिल आजकल  बड़ा ही बेखबर है 
चलता रहता हूँ मिलो युही सुबहशाम 
आज कल दिल पे तेरी यादो का असर है।  
जब मिले जिससे मिले हम हर दफा खुल के ही मिले 
कुछ इस वजह से ही दुश्मन है क्यों सब हम से मिले 
गलती उसकी की नहीं जाते करीब उसके अक्सर लोग 
और उस पर तोहमत हम पे यह है के 
हम क्यों हर किसी से बांह फैला के मिले 
सुनते थे वो जो गाने उसके लगा के हैडफ़ोन अपने कानो मैं
कह दी जो दिल की बात देखो बंदा वही अब बेसुरा हो गया। .रवि

सोनू निगम